विकास (DEVELOPMENT)
मानव जीवन एक निषेचित इकाई (fertilized cell) से आरम्भ होता है। यह इकाई माँ के गर्भ के वातावरण से निरन्तर अन्तर्क्रिया करता रहता है। जन्म के बाद बाहर के वातावरण से अन्तर्क्रिया आरम्भ हो जाती है, जिसके फलस्वरूप बालक की वृद्धि और विकास की प्रक्रिया गतिवान होती है। विकास की प्रक्रिया गर्भ से ही प्रारम्भ हो जाती है और जन्म के बाद शैशवास्था, बाल्यावस्था, किशोरावस्था तथा प्रौढ़ावस्था तक क्रमश: चलती रहती है। बालक के विकास के विभिन्न पक्षों व विकास की विभिन्न अवस्थाओं में घटित होने वाली प्रक्रिया के स्वरूप का ज्ञान अभिभावक तथा अध्यापक दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। बालक-बालिकाओं में होने वाले शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, संवेगात्मक, नैतिक आदि परिवर्तनों का ज्ञान अध्यापक की कार्य कुशलता में वृद्धि करता में है तथा विभिन्न आयु के बालकों के लिए प्रशिक्षण, अनुदेशन और निरन्तर अभ्यास को सुनिश्चित किया जा सकता है।
अभिवृद्धि / वृद्धि एवं विकास (GROWTH AND DEVELOPMENT)
सामान्य बोलचाल की भाषा में अभिवृद्धि एवं विकास दोनों को एक ही अर्थ में प्रयोग किया जाता है। किन्तु इन शब्दों के वास्तविक अर्थ में अन्तर होता है। अभिवृद्धि से तात्पर्य है-आकार, वजन, विस्तार जटिलता आदि की दृष्टि से बढ़ना। जबकि विकास का अर्थ है-व्यक्ति का एक अवस्था से दूसरी अवस्था में पदार्पण करना।
वृद्धि / अभिवृद्धि और विकास की तुलना Comparison between growth and Development:- अभिवृद्धि और विकास में कई सारी समानताएं हैं, परंतु इन समानताएं के बावजूद भी ऐसे कई महत्वपूर्ण तथ्य हैं जिसके कारण अभिवृद्धि तथा विकास में तुलना की जा सकती है | अभिवृद्धि तथा विकास में तुलना निम्नलिखित तथ्यों के आधार पर किया जा सकता है:-
वृद्धि / अभिवृद्धि और विकास की तुलना Comparison between growth and Development
वृद्धि / अभिवृद्धि |
विकास |
जीवन पर्यंत वृद्धि नहीं होती | एक निश्चित आयोग के लगभग रुक जाती है | |
विकास का अर्थ जीवन पर्यंत एक व्यवस्थित और लगातार आने वाली परिवर्तन है | |
परिपक्व अवस्था प्राप्त होते ही अभिवृद्धि रुक जाती है |
विकास कभी भी नहीं रुकता | परिपक्वता की अवस्था प्राप्त होने पर भी विकास नहीं रुकता | |
अभिवृद्धि या वृद्धि का संबंध शारीरिक साथ-साथ मानसिक परिपक्वता से होता है | |
विकास का संबंध वातावरण से भी होता है | | मात्रात्मक पहलू में परिवर्तन अभिवृद्धि के क्षेत्र में आता है |
यह मात्रात्मक पहलुओं का नहीं बल्कि गुणवत्ता और स्वरूप के परिवर्तन का संकेत देता है | |
अभिवृद्धि में व्यक्तिगत भेद होता है | प्रत्येक बालक की वृद्धि समान नहीं होती | |
विकास की दर सीमा में अंतर होते हुए भी इस में समानता पाई जाती है | |
एक बालक का भार व मोटापा बढ़ने के साथ -साथ यह आवश्यक नहीं है कि वह किसी कार्यात्मक-परिष्कार को प्राप्त कर ले |अभिवृद्धि के साथ विकास हो भी सकता है | |
अभिवृद्धि के बिना विकास हो सकता है |कुछ बालों को के कद भार या आकार में वृद्धि ना होने पर भी वे भौतिक सामाजिक भावनात्मक या बौद्धिक पहलुओं में विशेष कार्य अनुभव वाले हो सकते हैं | |
अभिवृद्धि से होने वाले परिवर्तन मापे जा सकते हैं | |
कार्य और व्यवहार में परिष्कार का संकेत देने वाला होने से विकास गुणात्मक परिवर्तन लाता है जिनका मापन करना बहुत कठिन होता है | |
अभिवृत्ति मनुष्य की विकास प्रक्रिया का हिस्सा या एक पहलू है | |
विकास एक व्यापक और परिज्ञान वाला शब्द है | इसमें वृद्धि भी सम्मिलित रहती है तथा उन सभी परिवर्तनों को भी समाविष्ट करता है जो जीवधारी के अतिरिक्त स्तर पर होते हैं | यह शारीरिक बौद्धिक भावनात्मक सामाजिक और सौंदर्य बोध जैसे विकास के सभी पहलुओं को अपने से समाविष्ट करता है | |
अभिवृद्धि एकाकी प्रक्रिया है जो शरीर के विभिन्न अंगों की उत्तरोंत्तर बढ़ रही समन्वित कार्य क्षमता में वृद्धि को इंगित करता है | |
विकास के परिणाम स्वरूप व्यक्ति में नवीन क्षमताएं प्रकट होती है, क्योंकि यह एक-बहुआयामी प्रक्रिया भी है | |
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