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अपठित लेखांश व काव्यांश बीएड प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा Unseen Passage for B.Ed Entrance Exam


अपठित लेखांश व काव्यांश

लेखांश 1

कुन्ती अपने लाड़ले लाल को, अपने हृदय के टुकड़े को, अपने प्यारे नवजात शिशु को नदी में छोड़कर लौट आई। वह छोटी नदी थी । वायु अनुकूल थी, दैव की गति जानी नहीं जाती। वह नदी चम्बल नदी में जाकर मिलती है। अब शिशु की पिटारी बहती - बहती चम्बल नदी में आ गई। इटावे के पास चम्बल नदी आकर यमुना में मिलती है। अतः चम्बल के प्रवाह के साथ वह भी यमुना में आ गई और यमुना के साथ प्रयाग की ओर बढ़ी। तीर्थराज प्रयाग में जाकर यमुना, गंगा में मिल जाती है। अतः अब वह मंजूषा शिशु को लेकर काशी की ओर बहने लगी। उसके साथ न कोई मल्लाह था न पथ प्रदर्शक भाग्य उसे स्वयं ही बहाकर ले जा रहा था। काशीपुरी, पाटलिपुत्र आदि राज्यों की सीमा को पार करती हुई गंगा के प्रवाह के साथ वह मंजूषा बिना किसी रुकावट के आगे बढ़ी चली जा रही थी। आगे चलकर वह अंग देश की सीमा में पहुँची। अब मानो उसकी यात्रा समाप्त होगी उसी समय चम्पा नगरी के राजा अधिरथ अपनी स्त्री राधा और अपने सेवकों के सहित गंगा स्नान करने आए थे। उन्होंने दूर से इस सुन्दर सी पेटी को जाह्नवी की लहरों के साथ क्रीड़ा करते देखा। अन्त में उन्होंने अपने सेवकों को आज्ञा दी - सामने यह जो मंजूषा बहती जा रही है, उसे पकड़ कर लाओ। (UPSSSC VDO 2018)


1. कुन्ती अपने नवजात सुकुमार शिशु को कहाँ छोड़कर आई थी? 

(a) तालाब 

(b) नदी

(c) समुद्र 

(d) कुआँ


2. मंजूषा को कौन लेकर जा रहा था ?

(a) सेवक

(b) मल्लाह

(c) पथप्रदर्शक

(d) भाग्य


3. राजा अधिरथ ने सेवकों को क्या आज्ञा दी थी ?

(a) मंजूषा को लाने की 

(b) शिशु को लाने की

(c) सेना को लाने की

(d) राधा को लाने की


4. चम्पा नगरी के राजा किसके साथ गंगा स्नान करने आए थे? 

(a) राधा और सेवक 

(b) सेना और सेवक 

(c) राधा और सेना 

(d) सेना और शिशु


5. अधिरथ ने जान्हवी की लहरों के साथ किसे क्रीड़ा करते देखा था?

(a) कुन्ती के पुत्र को

(b) पेटी को

(c) छोटे शिशु को

(d) सेवक को




लेखांश 2

हमारा जीवन पाखण्डमय बन गया है और हम इसके बिना नहीं रह सकते हैं। अपने सार्वजनिक जीवन अथवा निजी जीवन में कहीं भी देखें हम एक-दूसरे को छलने की कला का खुलकर उपयोग करते हैं, इसके बावजूद यह विश्वास करते हैं कि हम ऐसा कुछ भी नहीं कर रहे हैं।

हम इस प्रकार की भाषा का प्रयोग करते हैं, जिसकी उस अवसर पर कोई आवश्यकता नहीं होती । हम किसी भी बात को यह जानते हुए कि वह सही या सत्य नहीं है, लेकिन उसके प्रति निष्ठा या विश्वास इस तरह प्रकट करते हैं कि जैसे हमारे लिए वही एकमात्र सत्य है । हम सब यह इसलिए सरलता से कर लेते हैं, क्योंकि आज पाखण्ड एवं दिखावा हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है। आज हम लोगों में से अधिकांश की स्थिति मुँह में कुछ और मन में कुछ और वाली बन गई है।


6. हमने जीवन का अभिन्न अंग किसे बना लिया है? 

(a) भाषा को

(b) पाखण्ड और दिखावे को

(c) निष्ठा एवं विश्वास को

(d) सरलता को


7. छलने की कला का हम किस प्रकार उपयोग करते हैं?

(a) खुलकर 

(b) आवश्यकतानुसार

(c) पूरी निष्ठा से

(d) सरलता से



लेखांश 3

हम इस बात को जानते हैं कि तुम हमारे प्रेम के कारण वनवास के कष्टों को सहन करने के लिए तैयार हो, लेकिन घर पर रहकर हमारे साथ स्नेह की तुम और भी अधिक रक्षा कर सकती हो। सबसे बड़ी बात यह है कि हमारे न रहने पर माँ जब व्याकुल होगी, तब तुम सन्तोषजनक बातें कहकर उन्हें समझाना लेकिन सीता पर इन बातों का कुछ भी प्रभाव न पड़ा। सीता साधारण स्त्री न थीं, वह अपने कर्त्तव्य को समझती थीं। इसलिए इन सभी बातों के उत्तर देकर वह वनवास के लिए अपनी इच्छा को तोड़ न सकी। 

यहाँ यह बात बताने की आवश्यकता नहीं है कि सीता को जो यह अमर कीर्ति प्राप्त हुई, प्रत्येक स्त्री के लिए वह प्रातः स्मरणीय हो सकी इसका कारण यह नहीं है कि वह राजा जनक की बेटी थीं और राजा दशरथ की पुत्रवधू थीं रामचन्द्र की पत्नी होना भी उनका कोई विशेष कारण नहीं है। उस कीर्ति का एकमात्र कारण है अपने धर्म और कर्त्तव्य के लिए उनका कष्ट सहना ।

अपनी सत्य-निष्ठा और धर्म-परायणता, चरित्र बल और कष्ट सहने के लिए उनको जो अमर कीर्ति संसार के इतिहास में मिल सकी, उसको बताने की आवश्यकता नहीं। 


8. सीता जी को अमर कीर्ति किस कारण प्राप्त हुई ? 

(a) राजा जनक की पुत्री होने के कारण 

(b) राजा दशरथ की पुत्रवधू होने के कारण 

(c) रानी कौशल्या की सेवा करने के कारण 

(d) अपने धर्म और कर्त्तव्य के लिए उनका कष्ट सहना


9. उपरोक्त लेखांश का शीर्षक बताइए 

(a) सीता का त्याग 

(b) सीता की सेवा-भावना 

(c) धर्म और कर्तव्य परायण सीता 

(d) सीता का समर्पण



लेखांश 4

तत्परता हमारी सबसे मूल्यवान सम्पत्ति है। इसके द्वारा विश्वसनीयता प्राप्त होती है। वे लोग, जो सदैव जागरूक रहते हैं, तत्काल कर्मरत हो जाते हैं और जो समय के पाबन्द हैं, वे सर्वत्र विश्वास के पात्र समझे जाते हैं। वे मालिक, जो स्वयं कार्य-तत्पर होते हैं, अपने कर्मचारियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनते हैं और काम की उपेक्षा करने वालों के लिए अंकुश का काम करते हैं। वे अनुशासन का साधन भी बनते हैं। इस प्रकार अपनी उपयोगिता और सफलता में अभिवृद्धि करने के साथ-साथ वे दूसरों की उपयोगिता और सफलता के भी साधन बनते हैं। एक आलसी व्यक्ति हमेशा ही अपने कार्य को भविष्य के लिए स्थगित करता जाता है, वह समय से पिछड़ता जाता है और इस प्रकार अपने लिए ही नहीं दूसरों के लिए भी विक्षोभ का कारण बनता है। उसकी सेवाओं का कोई आर्थिक मूल्य नहीं समझा जाता। कार्य के प्रति उत्साह और उसे शीघ्रता से सम्पन्न करना कार्य- तत्परता के दो प्रमुख उत्पादान हैं, जो समृद्धि की प्राप्ति में उपयोगी बनते हैं। 


10. उपरोक्त लेखांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए।

(a) कार्य-कुशलता

(b) कार्य-उपयोगिता 

(c) कार्य-तत्परता

(d) जागरूकता


11. जीवन में सफल सिद्ध होने के लिए आवश्यक उपादानों में से एक प्रमुख उपादान क्या है? 

(a) कार्य की आर्थिक समझ

(b) जागरूकता

(c) अनुशासन

(d) तत्परता


12. लेखांश का उचित संक्षेपण कौन-सा होगा?

(a) तत्परता हमारी मूल्यवान निधि है। इससे हम तत्पर होकर कार्य करते हैं  और समय पर कार्य करके सफलता प्राप्त करते हैं। 

(b) जागरूक व्यक्ति सदैव उत्साहित होकर तत्परता से अपने कार्य में जुट जाते हैं और अनुशासित होकर उसे समय पर पूरा करने का प्रयास करते हैं। समय पर कार्य करने से वे अपने कार्यक्षेत्र में सभी के विश्वासपात्र बन जाते हैं और यही विश्वसनीयता सफलता का साधन बनती है। यही तत्परता सफलता और समृद्धि का प्रमुख उपादान है। 

(c) सफलता के लिए तत्परता का होना आवश्यक है। अनुशासन में रहकर •कार्य समय से पूरा करके सफलता मिलती है। 

(d) उत्साह और शीघ्रता कार्य-तत्परता के दो प्रमुख उपादान हैं, जो जागरूक होकर कार्य करने को बाध्य करते हैं, जिससे कार्य समयानुसार पूरा होता है और सफलता मिलती है। 


लेखांश 5

राष्ट्र के सर्वांगीण विकास के लिए चरित्र निर्माण परम आवश्यक है। जिस प्रकार वर्तमान में भौतिक निर्माण का कार्य अनेक योजनाओं के माध्यम से तीव्र गति के साथ सम्पन्न हो रहा है, वैसे ही वर्तमान की सबसे बड़ी आवश्यकता यह है कि देशवासियों के चरित्र निर्माण के लिए भी प्रयत्न किया जाए। उत्तम चरित्रवान व्यक्ति ही राष्ट्र की सर्वोच्च सम्पदा है। जनतन्त्र के लिए तो यह एक महान कल्याणकारी योजना है। जन-समाज में राष्ट्र, संस्कृति, समाज एवं परिवार के प्रति हमारा क्या कर्त्तव्य है इसका पूर्ण रूप से बोध कराना एवं राष्ट्र में व्याप्त समग्र भ्रष्टाचार के प्रति निषेधात्मक वातावरण का निर्माण करना ही चरित्र निर्माण का प्रथम सोपान है। पाश्चात्य शिक्षा और संस्कृति के प्रभाव से आज हमारे मस्तिष्क में भारतीयता के प्रति 'हीन भावना' उत्पन्न हो गई है। चरित्र निर्माण, जोकि बाल्यावस्था से ही ऋषिकुल, गुरुकुल, आचार्यकुल की शिक्षा के द्वारा प्राचीन समय से किया जाता था, आज की लॉर्ड मैकाले की शिक्षा पद्धति से संचालित स्कूलों एवं कॉलेजों के लिए एक हास्यास्पद विषय बन गया है। आज यदि कोई पुरातन संस्कारी विद्यार्थी संध्यावन्दन या शिक्षा - सूत्र रखकर भारतीय संस्कृतिमय जीवन बिताता है, तो अन्य छात्र उसे 'बुद्ध' या अप्रगतिशील कहकर उसका मजाक उड़ाते हैं। आज हम अपने भारतीय आदर्शों का परित्याग करके पश्चिम के अन्धानुकरण को ही प्रगति मान बैठे हैं। इसका घातक परिणाम चारित्रय-दोष के रूप में आज देश में सर्वत्र दृष्टिगोचर हो रहा है। 


13. चरित्र निर्माण की परम आवश्यकता है

(a) राष्ट्र के सर्वांगीण विकास के लिए

(b) राष्ट्र की योजनाओं के संचालन के लिए

(c) मानवमात्र के कल्याण के लिए

(d) समाजोपयोगी कार्यों के लिए


14. जनतन्त्र के लिए लाभकारी हो सकते हैं

(a) धनवान व्यक्ति

(b) उत्तम चरित्रवान व्यक्ति 

(c) शक्तिशाली सिपाही

(d) निष्ठावान श्रमिक


15. उन्नत राष्ट्र के लिए विकास का प्रथम सोपान है

(a) जनता में साम्प्रदायिक सद्भाव

(b) राजनीतिक के कुशल दाँव-पेंच 

(c) चरित्र निर्माण के लिए शैक्षिक वातावरण 

(d) भ्रष्टाचार के प्रति निषेधात्मक वातावरण


16. अप्रगतिशील रूप में मजाक उड़ाया जाता है, जो

(a) सत्संग में अधिक समय नहीं बिताता है 

(b) धार्मिक वातावरण में जीवन बिताता है

(c) भारतीय संस्कृतिमय जीवन बिताता है

(d) पाश्चात्य संस्कृति को हृदय से अपनाता है


17. भारतीयता के प्रति हीन भावना का कारण है 

(a) लॉर्ड मैकाले की शिक्षा पद्धति 

(b) प्राचीन गुरुकुल की शिक्षा पद्धति 

(c) वर्तमान वैज्ञानिक शिक्षा पद्धति

(d) पुरातन संस्कारी संस्कृतिमय जीवन



लेखांश 6

देश की उन्नति के लिए गाँधीजी ने ग्रामोन्नति को सर्वोपरि माना है। भारतीय ग्राम, भारत की प्राचीन सभ्यता व संस्कृति के प्रतीक हैं। ग्राम ही भारतवर्ष की आत्मा है और सम्पूर्ण भारत उनका शरीर । शरीर की उन्नति आत्मा की स्वस्थ होने पर ही सम्पूर्ण शरीर में नवचेतना व नवशक्ति का संचार होता है। आज भी भारत की 60% जनसंख्या गाँवों में ही बसती है।

गाँधीजी कहा करते थे “भारत का हृदय गाँवों में बसता है। गाँवों की उन्नति से ही भारत की उन्नति हो सकती है। गाँवों में ही सेवा और परिश्रम के अवतार किसान बसते हैं।”

अतः भारत की उन्नति नगरों की उन्नति पर नहीं अपितु गाँवों की उन्नति पर निर्भर करती है। अतः ग्रामोन्नति का कार्य देशोन्नति का कार्य है। महाकवि सुमित्रानन्दन पन्त ने 'भारतमाता ग्रामवासिनी' नामक कविता में ठीक ही कहा है कि भारतवर्ष का वास्तविक स्वरूप गाँवों में है।


18. भारतीय ग्राम किसके प्रतीक हैं?

(a) यूरोप की प्राचीन सभ्यता के

(b) भारत की प्राचीन संस्कृति के 

(c) भारत की प्राचीन सभ्यता व संस्कृति के

(d) उपरोक्त में से कोई नहीं


19. शरीर में चेतना व शक्ति का संचार कब होता है?

(a) जब शरीर स्वस्थ हो 

(b) जब लोग स्वस्थ हों 

(c) जब आत्मा स्वस्थ हो

(d) जब कोई भी स्वस्थ न हो


20. किसानों को क्या बताया गया है? 

(a) उन्नति का प्रतीक

(b) आलसियों का अवतार 

(c) सेवा और परिश्रम का अवतार

(d) इनमें से कोई नहीं


21. भारत की उन्नति निर्भर करती है 

(a) महानगरों की उन्नति पर 

(b) शहरों की उन्नति पर 

(c) कस्बों की उन्नति पर

(d) ग्रामों की उन्नति पर


22. 'ग्रामोन्नति' शब्द बना हैं 

(a) ग्रामो + न्नति 

(b) ग्रामो + नति

(c) ग्रामोन्न + ति

(d) ग्राम + उन्नति



लेखांश 7

तेंदुए बाघ से ज्यादा चालाक होते हैं। जिम कॉर्बेट ने कहा था कि सब कुछ कहने और करने के बाद भी बाघ सज्जन है। तेंदुए की बाघ की अपेक्षा गाँव अथवा घरों में भी प्रवेश करने की सम्भावना ज्यादा है। वह झोंपड़ी की बगल में लेटा हुआ इसका इन्तजार करता है कि कब एक खतरे से अंजान बच्चा बाहर आए और तब वह उसको गर्दन से दबोच ले। कोई भी आवाज नहीं होगी और बच्चा यूँ ही गायब हो जाएगा।

एक बाघ बच्चे के लिए अपने को कभी-कभार तकलीफ नहीं देगा, क्योंकि उसके लिए यह बहुत कम है। यह व्यय-लाभ का प्रश्न है। बाघ बच्चे को पकड़ने और मारने में जितनी ऊर्जा व्यय करेगा उसकी अपेक्षा उसे बहुत कम भोजन उपलब्ध होगा। इसके बजाय वह एक भैंसे अथवा किसी खुर वाले जंगली शिकार को मारेगा, जिससे उसको काफी अधिक मात्रा में भोजन उपलब्ध होगा।

एक बाघ का वजन 180-230 किग्रा होता है, जबकि तेंदुआ लगभग 50 किग्रा के आसपास। अपने सामान्य भोजन, जैसे कि कुत्ते, बकरियाँ और मुर्गे आराम से सुलभ होने पर भी, तेंदुए बच्चों को उठाने पर उतर आते हैं।


23. बाघ एक बच्चे के बजाय एक भैंसे को मारेगा

(a) क्योंकि एक भैंसे को मारना आसान है। 

(b) क्योंकि एक बच्चे को मारना कठिन है।

(c) क्योंकि बाघ चालाक नहीं होते।

(d) क्योंकि बाघ, बच्चे को पकड़ने और मारने में जितनी ऊर्जा खर्च करेगा, उसकी अपेक्षा उसे बहुत कम भोजन मिलेगा। 


24. तेंदुए बच्चों को उठाने पर उतर आते हैं

(a) जब सामान्य भोजन उपलब्ध नहीं होता

(b) सामान्य भोजन उपलब्ध होने के बावजूद 

(c) जब बाघ, भैसों का शिकार करते हैं 

(d) जब वे गाँव में प्रवेश करते हैं।


25. निम्न कथनों में से कौन-सा असत्य है?

(a) बाघों की गाँव अथवा घरों में भी प्रवेश करने की सम्भावना अधिक होती है।

(b) तेंदुओं की गाँव अथवा घरों में भी प्रवेश करने की सम्भावना अधिक होती है। 

(C) बाघ बच्चों का शिकार शायद ही करेगा।

(d) तेंदुओं का सामान्य भोजन कुत्ते, बकरियाँ और मुर्गे होते हैं।


26. जिम कॉर्बेट ने कहा था कि

(a) तेंदुए चालाक जानवर हैं। 

(b) बाघ चालाक जानवर है। 

(c) तेंदुए सज्जन हैं।

(d) बाघ सज्जन है।


27. तेन्दुए

(a) केवल बच्चों को खाते हैं।

(b) केवल कुत्तों और बकरियों को खाते हैं।

(c) केवल मुर्गों को खाते हैं। 

(d) कुत्ते, बकरियों, मुर्गों और बच्चों को खाते हैं।


लेखांश 8

उष्णकटिबन्धीय कीटों के विभिन्न समूहों में तितलियों और चीटियों को वर्गीकरण विज्ञान में, शायद सबसे अच्छी तरह से जाना जाता है, जबकि तितलियाँ पर्यावरण बदलाव की सबसे अच्छी संकेतक हो सकती है, वयस्क तितलियाँ केवल कुछ पारिस्थितिक उपयुक्त स्थान को भरती हैं। अधिकांश प्रजातियाँ परागणकर्ता अथवा सफाई करने वाली होती हैं।

इसके विपरीत, चींटियाँ किसी भी पारिस्थितिक व्यवस्था में एक बहुत अधिक परिवर्तनशील भूमिका निभाती हैं। चीटियों को अधिकांश स्थलीय जगत को चलाने में एक मुख्य मिट्टी को उलट-पलट करने वाली और ऊर्जा चैनल को देने वाली माना जाता है। किसी भी स्थलीय पारिस्थितिक व्यवस्था में, चींटियाँ भी परभक्षी, परागणकर्ता, फसल काटने वाली और अपघटनकर्ता की भूमिका निभाती हैं। 


28. निम्न में से कौन-सा कथन सत्य है?

(a) चींटियाँ और तितलियाँ दोनों परागणकर्ता की भूमिका निभाती हैं

(b) तितलियाँ परागणकर्ता की भूमिका निभाती हैं, पर चींटियाँ नहीं 

(c) चींटियाँ परागणकर्ता की भूमिका निभाती हैं पर तितलियाँ नहीं

(d) न ही चींटियाँ और न तितलियाँ परागणकर्ता की भूमिका निभाती हैं


29. तितलियाँ

(a) वर्गीकरण विज्ञान में अच्छी तरह से नहीं जानी जाती हैं। 

(b) पर्यावरण बदलाव की अच्छी संकेतक हैं।

(c) परभक्षी, परागणकर्ता, फसल काटने वाली और अपघटनकर्ता होती हैं। 

(d) अधिकांश स्थलीय व्यवस्था को चलाती हैं।


30. चीटियों को अधिकांश स्थलीय व्यवस्था को चलाने वाला माना जाता, क्योंकि 

(a) वे परागणकर्ता और सफाई करने वाली होती हैं।

(b) वे वर्गीकरण विज्ञान में अच्छी तरह से जानी जाती हैं। 

(c) वे पारिस्थित्तिक व्यवस्था में एक परिवर्तनशील भूमिका निभाती हैं। 

(d) वे मुख्य रूप से मिट्टी को उलट-पलट करने वाली और ऊर्जा चैनल को देने वाली होती हैं।


31. चीटियाँ और तितलियाँ

(a) पर्यावरण बदलाव की अच्छी संकेतक हैं।

(b) उष्णकटिबन्धीय कीट हैं।

(c) वर्गीकरण विज्ञान में अच्छी तरह से नहीं जानी जाती हैं।

(d) पारिस्थितिक व्यवस्था में कोई भूमिका नहीं निभाती हैं।


32. तितलियों की अधिकांश जातियाँ परागणकर्ता और सफाई करने वाली होती हैं। अत:

(a) वे चीटियों की अपेक्षा, पारिस्थितिक व्यवस्था में एक परिवर्तनशील भूमिका निभाती हैं।

(b) वे अधिकांश स्थलीय व्यवस्था को चलाती हैं। 

(c) उनको वर्गीकरण विज्ञान में अच्छी तरह से जाना जाता है।

(d) ये केवल कुछ ही पारिस्थितिक उपयुक्त स्थान को भरती हैं। 


लेखांश 9

भारत के विभिन्न भागों में, आम लोगों ने जिस वीरता का प्रदर्शन किया वह अभूतपूर्व था। निहत्थे पुरुष और महिलाएँ लम्बे जुलूसों में पुलिस स्टेशनों पर कब्जा करने के लिए पंक्तिबद्ध होकर आगे बढ़े जबकि उन पर भारतीय पुलिसकर्मियों द्वारा गोली चलाई गईं। गोलियों से बहुतायत में जान से मारे गए, बहुत से घायल हो गए; फिर भी थोड़ी रुकावट के बाद जुलूस आगे बढ़ता गया। एक घटना में एक वृद्ध महिला स्वेच्छा से जुलूस के आगे-आगे राष्ट्रीय ध्वज लेकर मार्च कर रही थी। वह तीन

गोलियाँ खाकर भी मरते समय तक ध्वज को ऊँचा करके उठाए रही। उसने ऐसा इसलिए किया, क्योंकि वह युवा पुरुषों को प्राण निछावर नहीं करने देना चाहती थी जब तक कि उसकी उम्र वाले लोग जिन्दा थे। 


33. निहत्थे पुरुष और महिलाएँ लम्बे जुलूसों में पंक्तिबद्ध होकर आगे बढ़े 

(a) राष्ट्रीय ध्वज को कब्जे में लेने के लिए

(b) भारतीय पुलिसकर्मियों को गोली मारने के लिए

(c) पुलिस स्टेशनों पर कब्जा करने के लिए

(d) जुलूसों में थोड़े समय के लिए रुकावट पैदा करने के लिए


34. निहत्थे पुरुषों और महिलाओं पर किसके द्वारा गोली चलाई गई? 

(a) जो लोग राष्ट्रीय ध्वज को ऊँचा उठाकर पकड़े हुए थे 

(b) सेना 

(C) ब्रिटिश

(d) भारतीय पुलिसकर्मी


35. लेखांश में 'बहुतायत' शब्द का क्या अर्थ है ? 

(a) संगीत 

(b) ढोल की आवाज 

(c) बहुत-से

(d) जुलूस


36. वृद्धि महिला ने अपने प्राण दे दिए, क्योंकि

(a) उसे एहसास नहीं था कि भारतीय पुलिसकर्मी उसे गोली मार देंगे। 

(b) उसके बच्चों ने उसे मजबूर किया था। 

(c) वह युवा लोगों को मरने नहीं देना चाहती थी, जब तक कि उसकी उम्र के वृद्ध लोग जिन्दा थे।

(d) जुलूस में रुकावट पैदा की गई थी। 


37. जब बहुत से लोग गोली से मारे गए और घायल हो गए, तो उसके बाद

(a) जुलूस एकदम से रुक गया

(b) जुलूस में केवल वृद्ध लोग बचे

(c) जुलूस में केवल नेता लोग थे और साधारण लोग नहीं बचे 

(d) जुलूस थोड़ी रुकावट के बाद फिर से आरम्भ हो गया


लेखांश 10

जल का जीवन से बहुत महत्त्वपूर्ण सम्बन्ध है। हमारे शरीर में तीन भाग, पानी का है। उसी प्रकार धरती पर तीन भाग जल का है। जल के कारण हरियाली है और हरियाली से ऑक्सीजन प्राप्त होती है, परन्तु आजकल लोग इण्डस्ट्रीज तथा रिहायशी भवनों के नाम पर एवं गलत निर्णयों के कारण हरियाली का विनाश कर रहे हैं तथा जल का धरती से गलत दोहन किया जा रहा है। 'जल ही जीवन है' और 'बिन पानी सब सून' यानी जल बिना हम जीवन की कल्पना ही नहीं कर सकते। जल के बिना सारी पृथ्वी का पर्यावरण प्रदूषित हो जाएगा तथा पृथ्वी रहने लायक नहीं रहेगी। इस कारणवश पृथ्वी मानव विहीन हो जाएगी। 


38. दिए गए लेखांश का उचित शीर्षक लिखिए।

(a) जल का महतवया 

(b) जल का महत्त्व

(c) जल का महत्  

(d) जाल का महत्त्व


39. धरती पर कितना भाग पानी है? 

(a) दो भाग 

(b) चार भाग 

(c) तीन भाग

(d) पाँच भाग


40. हरियाली किसके कारण होती है?

(a) जल के कारण 

(b) पौधों के कारण

(c) तालाबों के कारण

(d) नालियों के कारण


41. हरियाली के विनाश का क्या कारण है? 

(a) इण्डस्ट्रीज, रिहायशी भवनों के नाम पर, जल का धरती से गलत दोहन एवं गलत निर्णय के कारण हरियाली का विनाश हो रहा है। 

(b) इण्डस्ट्रीज, रिहायशी भवनों के नाम पर, जल का धरती से गलत दोहन एवं गलत निर्णयों के कारण जल का विनाश हो रहा है। 

(c) इण्डस्ट्रीज, रिहायशी भवनों के नाम पर, पेड़-पौधों का धरती से गलत दोहन एवं गलत निर्णयों के कारण हरियाली का विनाश हो रहा है।

(d) सड़कों भवनों के नाम पर, जल का धरती से गलत दोहन एवं गलत निर्णयों के कारण हरियाली का विनाश हो रहा है। 


42. ऑक्सीजन हमें कहाँ से प्राप्त होती है?

(a) हमें हरियाली से ऑक्सीजन प्राप्त होती है। 

(b) हमें जल से ऑक्सीजन प्राप्त होती है।

(c) हमें प्रदूषण कम होने से ऑक्सीजन प्राप्त होती है।

(d) हमें फूलों से ऑक्सीजन प्राप्त होती है।


लेखांश 11

विश्व में हर व्यक्ति सुख चाहता है, लेकिन इसकी प्राप्ति का मन्त्र वह नहीं जानता। भौतिक सुखों को ही सच्चा सुख मानने की भूल वह करता चला आ रहा है। संसार में प्रत्येक सम्बन्ध के साथ संयोग-वियोग जुड़ा हुआ है, दिन के साथ रात, सुख के साथ दुःख, लाभ के साथ हानि, मान के साथ अपमान जुड़ा हुआ है यदि कोई विषय ऐसा है, जिसके साथ कुछ भी नहीं जुड़ा है, तो वह है आनन्द। यह अन्तःकरण का विषय है, पराश्रित नहीं है। संवेदनशील व्यक्ति ही आनन्द की अनुभूति कर सकता है। सुखी होने के लिए दूसरों को सुखी देखकर सुख का अनुभव करना व दुःखियों को देखकर करुणा से द्रवित होना आवश्यक है। संवेदनाशून्य व्यक्ति कभी सुखी नहीं हो सकते। जो कर्म को कर्त्तव्य समझकर निष्ठापूर्वक करते हैं, वे ही आनन्द की अनुभूति कर सकते हैं। सच्चा सुख आसक्ति के त्याग में हैं, कर्म के त्यागने में नहीं। कर्म से प्राप्त होने वाले फल के प्रति आसक्ति त्यागने पर ही व्यक्ति सुखी जीवन व्यतीत कर सकता है।


43. संसार में प्रत्येक मनुष्य क्या चाहता है? 

(a) कार, बंगला और शान-शौकत 

(b) यश की प्राप्ति 

(c) रुपयों का ढेर

(d) सुख


44, जो भाव पराश्रित न होकर स्वयं के अन्तःकरण से जुड़ा हो, है 

(a) हास्य-विनोद

(b) आनन्द 

(c) अपमान

(d) असहयोग


45. आनन्द की अनुभूति करने के लिए क्या आवश्यक है?

(a) विद्वता 

(b) अपरिग्रहता 

(c) सहिष्णुता 

(d) संवेदनशीलता


46. संवेदनशीलता क्या है?

(a) दूसरों को दुःखी देखकर सुख अनुभव करना 

(b) दूसरों को सुखी देखकर दुःख अनुभव करना

(c) दूसरों को सुखी देखकर सुख व दुःखी देखकर करुणा का अनुभव करना 

(d) उपरोक्त में से कोई नहीं


47. सुखी जीवन का मन्त्र क्या है? 

(a) कर्म का त्याग 

(c) आलस्य का त्याग

(b) गृहस्थ जीवन का त्याग 

(d) आसक्ति का त्याग


48. मनुष्य किसे सच्चा सुख मानने की भूल करता रहता है?

(a) अपमान 

(b) संवेदनशीलता 

(c) भौतिक सुख 

(d) आलस्य




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