विकास की अवस्थाएं Stages of Development
विकास की अवस्थाएं:- प्रत्येक मनुष्य जन्म से लेकर मृत्यु तक विकास की कई अवस्थाओं से होकर गुजरता है | जिसका मानसिक भाषाई संवेगात्मक सामाजिक और चारित्रिक विकास निरंतर होता रहता है | यह सब विकास उसके विभिन्न आयु स्तरों पर भिन्न भिन्न रूप में होता है, इन आयु स्तरों को ही विकास की अवस्थाएं कहते हैं | भिन्न-भिन्न मनोवैज्ञानिकों ने मानव विकास की अवस्थाओं को भिन्न भिन्न रूप में वर्गीकृत किया है:-
भारत में मनुष्य जीवन को निम्न 7 अवस्थाओं में विभाजित करके देखा समझा जाता है | ||
1 | गर्भाधान से जन्म तक | गर्भावस्था |
2 | जन्म से 5 वर्ष तक | शैशवावस्था |
3 | 5 वर्ष से 12 वर्ष तक | बाल्यावस्था |
4 | 12 वर्ष से 18 वर्ष तक | किशोरावस्था |
5 | 18 वर्ष से 25 वर्ष तक | युवावस्था |
6 | 25 वर्ष से 55 वर्ष तक | प्रौढ़ावस्था |
7 | 55 वर्ष से मृत्यु तक | वृद्धावस्था |
विकास की अवस्थाएं हरलॉक के अनुसार | ||
1 | गर्भाधान से जन्म तक | गर्भावस्था |
2 | जन्म से 14 दिवस तक | प्रारंभिक शैशवावस्था |
3 | 14 दिवस से 2 वर्ष तक | उत्तर शैशवावस्था |
4 | 2 वर्ष से 11 वर्ष तक | बाल्यावस्था |
5 | 11 वर्ष से 13 वर्ष तक | प्रारंभिक किशोरावस्था |
6 | 13 वर्ष से 17 वर्ष तक | किशोरावस्था |
7 | 17 वर्ष से 21 वर्ष तक | उत्तर किशोरावस्था |
विकास की अवस्थाएं रास के अनुसार | ||
1 | 1 से 3 वर्ष तक | शैशवावस्था |
2 | 3 से 6 वर्ष तक | प्रारंभिक बाल्यकाल |
3 | 6 से 12 वर्ष तक | उत्तर बाल्यकाल |
4 | 12 से 18 वर्ष तक | किशोरावस्था |
कालेसनिक ने विकास की अवस्थाओं को 8 वर्गों में विभाजित किया है | ||
1 | गर्भाधान से जन्म तक | पूर्व जन्म काल/शैशवावस्था |
2 | जन्म से 3-4 सप्ताह तक | नव शैशव काल |
3 | 1 माह से 15 माह तक | आरंभिक शैशवावस्था |
4 | 15 माह से 30 माह तक | उत्तर शैशवावस्था |
5 | ढाई वर्ष से 5 वर्ष तक | पूर्व बाल्यावस्था |
6 | 5 वर्ष से 9 वर्ष तक | मध्य बाल्यावस्था |
7 | 9 वर्ष से 12 वर्ष तक | उत्तर बाल्यावस्था |
8 | 12 वर्ष से 21 वर्ष तक | किशोरावस्था |
सैले मानव विकास का अध्ययन | ||
1 | 1 से 5 वर्ष तक | शैशवावस्था |
2 | 5 से 12 वर्ष तक | बाल्यावस्था |
3 | 12 से 18 वर्ष तक | किशोरावस्था |
डॉक्टर अरनेस्ट जॉन्स के अनुसार मनुष्य का विकास 4 अवस्थाओं में होता है | ||
1 | जन्म से 5 या 6 वर्ष तक | शैशवावस्था |
2 | 5 से 12 वर्ष तक | बाल्यावस्था |
3 | 12 से 18 वर्ष तक | किशोरावस्था |
4 | 18 वर्ष के बाद | प्रौढ़ावस्था |
विकास की अवस्थाओं का वर्गीकरण कोल के अनुसार निम्नलिखित प्रकार से है | ||
1 | जन्म से 2 वर्ष तक | शैशवावस्था |
2 | 2 से 5 वर्ष तक | प्रारंभिक बाल्यावस्था |
3 | बालक 6 से 12 वर्ष तक बालक 6 से 10 वर्ष तक | मध्य बाल्यवस्था |
4 | बालक 13 से 14 वर्ष तक बालिका 11 से 12 वर्ष तक | पूर्व किशोरावस्था या उत्तर बाल्यावस्था |
5 | बालक 15 से 16 वर्ष तक बालिका 12 से 14 वर्ष तक | प्रारंभिक किशोरावस्था |
6 | बालक 17 से 18 वर्ष तक बालिका 15 से 17 वर्ष तक | मध्य किशोरावस्था |
7 | बालक 19 से 20 वर्ष तक बालिका 18 से 20 वर्ष तक | उत्तर किशोरावस्था |
8 | 21 से 34 वर्ष तक | प्रारंभिक प्रौढ़ावस्था |
9 | 35 से 49 वर्ष तक | मध्य प्रौढ़ावस्था |
10 | 50 से 64 वर्ष तक | उत्तर प्रौढ़ावस्था |
11 | 65 से 74 वर्ष तक | प्रारंभिक वृद्धावस्था |
12 | 75 वर्ष से आगे | वृद्धावस्था |
एरिक एरिकसन ने विकास को व्याख्यान करने के लिए मानव जीवन को निम्न 8 अवस्थाओं में विभाजित किया है | ||
1 | जन्म से 18 माह तक | शैशवावस्था |
2 | 2 से 3 वर्ष तक | बाल्यावस्था |
3 | 3 से 5 वर्ष तक | विद्यालय अवस्था |
4 | 6 से 11 वर्ष तक | विद्यालय अवस्था |
5 | 12 से 18 वर्ष तक | किशोरावस्था |
6 | 19 से 40 वर्ष तक | मध्य किशोरावस्था |
7 | 40 से 65 वर्ष तक | मध्य प्रौढ़ावस्था |
8 | 65 से मृत्यु तक | परिपक्व अवस्था |
हेविगहर्स्ट के अनुसार | ||
1 | 0 से 5 वर्ष तक | शैशवावस्था तथा बाल्यवस्था |
2 | 6 से 12 वर्ष तक | मध्य शैशवावस्था |
3 | 13 से 18 वर्ष तक | किशोरावस्था |
4 | 19 से 29 वर्ष तक | प्रौढ़ावस्था |
5 | 30 से 60 वर्ष तक | मध्य प्रौढ़ावस्था |
6 | 60 से अंत तक | परिपक्ववावस्था |
शिक्षक और शिक्षा की दृष्टि से शैशवावस्था बाल्यावस्था तथा किशोरावस्था विशेष रूप से महत्वपूर्ण होते हैं | इन अवस्थाओं में होने वाले परिवर्तन के आधार पर ही अध्यापक अधिगम अवसरों का सृजन कर सकता है तथा विकास को दिशा दे सकता है | विकास एक क्रमिक प्रक्रिया है तथा शिक्षा व्यवहार में परिवर्तन लाने की प्रक्रिया है | इन परिवर्तनों का स्वरूप भिन्न-भिन्न अवस्था में भिन्न-भिन्न होता है तथा विकासात्मक कार्यों की सफलता और असफलता से निर्देशित होता है |
विकासात्मक कार्यों पर पूर्ण नियंत्रण से बालक संतुष्ट होता है और नई चुनौतियों को स्वीकार करने के लिए तैयार रहता है | विकासात्मक कार्यों पर नियंत्रण के अभाव में कार्य संपादन की प्रगति और लक्ष्य प्राप्त करने की गति धीमी हो जाती है | विकास की भिन्न-भिन्न अवस्थाओं की चर्चा करने से पूर्व विकासात्मक का अर्थ समझ लेना आवश्यक है |
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