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सीखना या अधिगम का अर्थ, परिभाषा एवं विशेषताएं sikhna ya adhigam ka arth, parivasha evam vishestayen

सीखना या अधिगम अर्थ (adhigam kya hai)

adhigam arth paribhasha visheshta;

सीखना या अधिगम एकaव्यापक सतत् एवं जीवन-पर्यन्त चलने वाली प्रक्रिया हैं। मानव जन्म केaबाद से ही सीखना शुरू कर देता हैं और जीवन भर कुछ-कुछ नaसीखता रहता हैं। धीरे-धीरे वह अपने वातावरण सेaसमायोजित करने का प्रयत्न करता है। इस समायोजन के दौरान वह अपने अनुभवों सेaअधिक लाभ उठाने का प्रयास करता हैं। इस प्रक्रिया कोaमनोविज्ञान में सीखना कहते हैं। जिस व्यक्ति में सीखने की जितनी अधिक शक्ति होती हैं, उतना हीaउसके जीवन का विकास होता हैं। सीखने की प्रक्रिया मेaव्यक्ति अनेक क्रियाएँ  एवं उपक्रियाएँ करता हैं। अतः सीखना किसी स्थिति केaप्रति सक्रिय प्रतिक्रिया हैं। 

उदाहरणार्थ, जब हम किसी छोटे बालक केaसामने दीपक ले जाने पर पर वह उसकी लौ को पकड़के कीaकोशिश करता हैं। इस कोशिश मे उसकाaहाथ जलने लगता है तो वह अपने हाथ को पिछे खींच लेता हैं। जब दुबारा उसके सामने दीपक लाया जाता हैaतो वह अपने पूर्व अनुभव के आधार पर दीपक की लौं कोaपड़कने की कोशिश नही करता है, बल्कि उससे दूर हो जाता हैं। इसी विचार कीaस्थिति के प्रति प्रतिक्रिया करना कहते हैं। दूसरे शब्दों में, कह सकते हैं कि अनुभव के आधार परaबालक के स्वाभाविक व्यवहार मे परिवर्तन हो जाता हैं। 

हिन्दी के प्रसिद्ध उपन्यासकार भवगति चरणaवर्मा ने अपने प्रसिद्ध उपन्यास 'चित्रलेखा' में एक स्थानaपर लिखा है," संसार की पाठशाल मे अनुभव कीaशिक्षा प्रणाली द्वारा प्ररिस्थति रूपीaगुरू से हम सब सीखते हैं।" 

यह कथन यद्यपि साहित्यिकaपृष्ठभूमि में कहा गया हैं तथापि इसकाaबहुत कुछ संबंध मनोवैज्ञानिक तथ्य से हैं। मानव का व्यवहारaभौतिक, रसायन, प्रकृति तथा समाज सेaप्रभावित होता हैं। वह सीखकर स्वयं कोaबदलता है या फिर वातावरण कोa। 

सामान्य अर्थों मे अधिगम याaसीखने का अर्थ है व्यवहार मे परिवर्तनaका होना।


अधिगम या सीखना कीहैपरिभाषा (adhigam kiaparibhasha)

जे.पी. गिलफोर्ड केहैअनुसार," व्यवहार केaकारणहैव्यवहार मेंहैपरिवर्तनaही अधिगम हैं।"

वुडवर्थ केहैअनुसार," नवीन ज्ञान तथाaनवीनहैप्रतिक्रियाओं को प्राप्त करनेaकीहैप्रक्रिया सीखने की प्रक्रिया हैं।" 

क्रो तथा क्रो के अनुसार," सीखना-आदतों, ज्ञानaतथा अभिवृत्तियों काaअर्जन हैं।" 

उदय पारीक के अनुसार," अधिगम ज्ञानात्मक, मामकaया व्यवहारगत निवेशों कीaजरूरत पड़ने पर उनके प्रभावात्मक तथा विभिन्नaप्रयोग के लिए अधिग्रहण, आत्मीकरण तथा अंतरीकरण करनेaएवं आगामी स्वचालित अधिगम की बढ़ीaहुई क्षमता की तरफ ले जाने वालीaप्रक्रिया हैं।" 

मार्गन तथाहैगिलीलैंड के अनुसार," सीखना,हैअनुभवaके कारण प्राणी केहैव्यवहार मेंaपरिमार्जन है जोहैप्राणी द्वारा कुछ समयहैहेतुaधारण किया जाता हैं। 

कुप्पूस्वामी के अनुसार," अधिगम वह प्रक्रियाaहै जिसके द्वारा एक जीव, एक परिस्थितिaमें उसके अंतःक्रिया के परिणाम के रूप मेaव्यवहार का एक नवीन प्रतिरूप अर्जित करता हैं, जोaकुछ अंश तक स्थिरोन्मुख रहता हैं एवं जीव केaसामान्य व्यवहार प्रतिमान को प्रभावितaकरता हैं।" 

डाॅ.एस.एस. माथुर के अनुसार,a" सीखना एक सक्रिय प्रक्रिया हैं जोaव्यक्ति के अपने कार्यों पर निर्भर रहती है, जबकि मानसिक अभिवृद्धिaतथा प्रौढ़ता विकास की प्रक्रियायें हैं, जिनकेaसंबंध में व्यक्ति बहुत कम कुछ कर सकता हैंa। 

पील केहैअनुसार,"हैसीखनाaव्यक्ति में एकहैपरिवर्तन है जोहैउसके वातावरण के परिवर्तनोंaकेहैअनुसरण में होता हैं।" 

क्रानवेक केहैअनुसार," सीखना, अनुभवहैके फलस्वरूप व्यवहार मेहैपरिवर्तन द्वारा दिखलाई पड़ता हैं।" 


उपर्युक्त परिभाषाओं सेaस्पष्ट होता है कि सीखने के कारणaव्यक्ति के व्यवहार में परिवर्तनaआता हैं, व्यवहार में यह परिवर्तन बाहरी एवंaआन्तरिक दोनों ही प्रकार का होaसकता हैं। अतः सीखना एक प्रक्रिया हैं जिसमेंaअनुभव एवं प्रशिक्षण द्वाराaव्यवहार में स्थायी या अस्थायी परिवर्तन दिखाई देता हैंa। 


सीखनेaकी विशेषताएं (adhigam ki visheshta)

योकम तथाaसिम्पसन ने सीखने की निम्नलिखित विशेषताओंaका उल्लेख किया हैं--

1. सीखना संपूर्ण जीवन चलता है 

सीखने की प्रक्रियाaजीवन-पर्यन्त चलती हैं। मानव अपने जन्म के समय सेaमृत्यु तक निरन्तर कुछ-न-aसीखता रहता हैं।  


2. सीखना परिवर्तन हैं 

गिलफोर्ड केमेंअनुसार," सीखना, व्यवहार केaकारण व्यवहार में परिवर्तन हैं।" व्यक्ति अपने तथामेंदूसरो के अनुभवों सेमेंसीखकर अपने व्यवहार, विचारों,मेंइच्छाओं,मेंभावनाओं आदि में परिवर्तनमेंकरता हैं। 


3. सीखना सार्वभौमिकaहै 

सीखने का गुण सिर्फaमनुष्य में ही नही पाया जाता है। वस्तुतः संसार केaसभी जीवधारी, पशु-पक्षी यहाँ तक की कीड़े-मकौड़े भी सीखते है। 


4. सीखना विकास हैं 

व्यक्ति अपनी दैनिक क्रियाओं तथा अनुभवों केaद्वारा कुछ-न-कुछ सीखता है। फलस्वरूप, उसका शारीरिक तथा मानसिक विकास होता हैं। सीखने की इस विशेषताaको पेस्टालाॅजी ने वृक्ष तथा फ्रोबल ने उपवन का उदाहरण देकर स्पष्टaकिया हैं। 


5. सीखना अनुकूलन है 

सीखना वातावरण से अनुकूलन करने केaलिये जरूरी है। सीखकर ही व्यक्ति नई परिस्थितियों सेaअपना अनुकूलन कर सकता है। 


6. सीखना अनुभवों का संगठन हैं 

सीखना नये और पुराने अनुभवोंaका संगठन हैं। व्यक्ति नये अनुभवों द्वाराaनई बातें सीखता जाता है और अपनी आवश्यकताओं के अनुसार अपनेaअनुभवों को संगठित करता चला जाता हैं। 


7. सीखना उद्देश्यपूर्ण है 

सीखना उद्देश्यपूर्णaहोता है। उद्देश्य जितना ही अधिकaप्रबल होगा, सीखने की प्रक्रियाaउतनी ही तीव्र होगी। 


8. सीखना विवेकपूर्ण है 

मरसेल का कहना हैaकि सीखना यान्त्रिक कार्य के बजायaविवेकपूर्ण कार्य हैं। उसी बात कोaशीघ्रता तथा सरलता से सीखा जा सकता है, जिसमेंaबुद्धि अथवा विवेक का प्रयोगaकिया जाता है। बगैर सोचे-समझे, किसीaबात को सीखने में सफलताaनही मिलती है। मर्सेल केaशब्दों में," सीखने की असफलताओंaका कारण समझने की असफलताएं हैं।" 


9. सीखना सक्रिय हैं 

बालक तभी कुछ सीखaसकता हैं, जब वह स्वयं सीखनेaकी प्रक्रिया में भाग लेता हैं। 


10. सीखना व्यक्तिगत व सामाजिक दोनों हैं 

सीखनाहैव्यक्तिगत कार्य तो है ही परaयह सामाजिक कार्य भी हैं। हैयोकम तथाaसिम्पसन ने लिखा हैं,"हैसीखना सामाजिक हैं, क्योंकिहैकिसीaप्रकार के सामाजिक वातावरण के अभाव मेंहैव्यक्ति का सीखना असंभव हैं।"


सीखने से संबंधित तथ्य 

सीखने की मानवीय क्रिया के संबंध मेंaनिम्‍नलिखित तथ्य महत्वपूर्ण हैं-- 

1. सीखने का संबंध किसी नaकिसी प्रयोजन से होता है और उसaपर समाज व संस्कृति का प्रभाव पड़ता हैं। 

2. सीखने की क्षमता सभीaव्यक्तियों में एक-सी नही होती हैं। कुछ लोग अच्छीaबातें सीखते हैं, कुछ अच्छी और बुरी दोनों प्रकार की जबकि कुछ व्यक्ति ऐसेaभी होते हैं जो केवल बुरी बातें ही सीखते हैं। 

3. यों तो सीखने की प्रक्रिया सभी प्राणियों मेaपाई जाती हैं, परन्तु मानव सीखकर ही अपनेaव्यवहार में परिवर्तन लाता है और जीवन में आने बढ़ता हैं। 

4. सीखना एक सहज क्रिया नही है और न यहaएक जन्मजात क्षमता हैं।

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